मिहिरभोज_प्रतीहार जयंती विशेष

#मिहिरभोज_प्रतीहार जयंती विशेष
सम्राट मिहिरभोज प्रतीहार वंश के बहुत प्रतापी राजा थे जो अपने पिता रामभद्र के बाद राजा बनाया गये थे इनकी माता अप्पा देवी थी इन्हें भोजदेव, मिहिर ,ओर आदिवराह भी कहा जाता था । भगवान लक्ष्मण के कुल से होने के कारण इन्हें रघुकुलमणी ,रघुकुलतिलक कहा गया है

#बंगाल_विजय
मिहिरभोज के समय बंगाल के पाल अपनी शक्ति और साम्राज्य के विस्तार में लगे थे जिसके अंतर्गत पालो ने देवपाल के नेतृत्व में प्रतिहारो के राज्य पर आक्रमण कर दिया लेकिन प्रतिहारो के प्रबल विरोध के कारण पालो को हार का मुह देखना पड़ा और प्रतिहार साम्राज्य से बाहर खदेड़ दिए गए । कुछ समय बाद गुहिल सामन्त के नेतृत्व में सेना बंगाल भेजी गई और सम्राट मिहिरभोज की सेना ने गण्डक सोन को पार कर बिहार त्रिभुत और उत्तरी बंगाल पर विजय पताका फहरा दी और इसके पश्चात आसाम के शासक को परास्त कर अपने राज्य में सम्मिलित कर लिया ।

#पंजाब_विजय
बंगाल से निवर्त होकर मिहिरभोज प्रतीहार ने पंजाब पर आक्रमण किया पंजाब में अधिक कठिनाई नही हुई और युद्ध विजय के पश्चात अखलान प्रतीहार को सामन्त नियुक्त कर दिया भोज की बढ़ती शक्ति और प्रभाव से प्रभावित या भयभीत होकर अफगानिस्तान के शाहीवंश के शासकों ने भी मित्रता कर ली ओर एक प्रकार से इनके अधीन हो गए थे ।

#कच्छ_अरब_आक्रमण
ईसवी 844 -45 में सिंध के उमराव ने अरबो की सेना का नेतृत्व करते हुए यहाँ अपना अधिकार जमा लिया जनसामान्य पर अरब अत्याचार हुए और हिन्दुओ को जबरन मुसलमान बनाया गया तब भोजदेव ने कच्छ पर आक्रमण किया और अरबो की सेना को युद्ध में बुरी तरह तहस नहस कर अपना अधिकार जमाया ओर #शुद्धि_कार्यकम चलाया जिसके अंतर्गत मुसलमान बनाये गये लोगो को फिर से देवल ऋषि की सहायता से शुद्धिकरण करके वैदिक धर्म में वापस लाया गया था ।

#नेपाल_विजय
भोजदेव ने नेपाल के श्रावस्ती मंडल को विजय कर लिया उस समय नेपाल पर तिब्बती शासकों की सत्ता थी नेपाल के निर्वासित शासक राघवदेव ने भोजदेव से सहायता मांगी और मिहिरभोज की सहायता से 879 ई तक नेपाल को तिब्बत के साम्राज्य से मुक्त करवा लिया गया ।

#कश्मीर_विलय
883 ई में कश्मीर में राजगदी को लेकर संघर्ष हो गया तत्कालीन प्रतीहार सामन्त रातन्वर्धन ने एक वंशज शंकरवर्मन का पक्ष लेकर उसे कश्मीर की गद्दी पर बैठा दिया और ओर सभी विरोधियों को शांत करवा दिया इस प्रकार कश्मीर भी एक तरह से प्रतिहारो के अधीन हो गया ।

#अन्य_विजय
सम्राट मिहिरभोज ने खेटक मंडल ओर गंगवाड़ी के क्षेत्रों को राष्ट्रकूट ओर अमोघवर्ष वंशो से छीनकर अपने साम्राज्य में मिला लिया था इनका साम्राज्य सबसे शक्तिशाली और समृद्धशाली था ।

इनके जैसा सम्राट प्रतीहार वंश में फिर नही हुआ इनका साम्राज्य की पताका अफगानिस्तान से आसाम तक उत्तर में कश्मीर से दक्षिण से आंध्र तक फहराती थी

इतिहास और खुद क्षत्रियो ने अपने इस नायक को भुला दिया है जिन्हें फिर से इतिहास और दिलो में जिंदा करने की आवश्यकता है इसी क्रम में #18_अक्टूबर को इनकी जयन्ती ओर यशोगान दिवस #मिहिरोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है बढ़चढ़ कर हिस्सा ले ।